मनश्चिकित्सा विभाग

केन्द्रीय मनश्चिकित्सा संस्थान, राँची का मनश्चिकित्सा विभाग देश का सबसे पुराना और सबसे बड़ा विभाग है। 1918 में इसके शुरू होने के बाद से ही सी.आई.पी. मनश्चिकित्सा के क्षेत्र में अग्रणी रहा है। अन्य मानसिक अस्पतालों के विपरीत, सी.आई.पी. में मरीजों को बंद कमरे में नहीं रखा जाता है। यह बीमार व्यक्तियों के मानसिक प्रबंधन के लिए हमेशा से एक खुला अस्पताल रहा है। इस संस्थान के अंदर मरीज घूमने-फिरने के लिए स्वतंत्र है। ब्रिटिश सेना के एक मनोचिकित्सक ले. कर्नल ओवेन बर्कले हिल ने 1919 सर्वप्रथम चिकित्सा अधीक्षक के रूप में इस संस्थान का कार्यभार संभाला। उस समय इस अस्पताल की बिस्तर क्षमता 174 मरीजों की थी। वर्तमान में इस अस्पताल की बिस्तर क्षमता बढ़कर 643 बिस्तरों की हो गई है तथा इस संस्थान का विस्तार बढ़कर 211.6 एकड़ क्षेत्र में हो गया है। इस संस्थान के विभिन्न सुविधाओं और विभागों के नाम प्रख्यात भारतीय और यूरोपीय मनोचिकित्सकों के नाम पर रखा गया है।

संस्थान का मनश्चिकित्सा विभाग सक्रिय रूप से नैदानिक कार्यों, शिक्षण और अनुसंधान गतिविधियों में शामिल है। विभाग का सामान्य काम-काज सोमवार से शनिवार तक सुबह 08.30 बजे से शाम 05.00 बजे तक होता है जिसमें दोपहर 01.00 बजे से 02.00 बजे तक भोजन का अवकाश शामिल है। इसमें भर्ती मरीजों के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य का उपचार शामिल है। मरीजों की स्थिति का नियमित मूल्यांकन मनोचिकित्सकों, मनोवैज्ञानिकों, मनोवैज्ञानिक सामाजिक कार्यकर्ताओं एवं मानसिक बीमार मरीजों की देखभाल के लिए विशेष रूप से प्रशिक्षित नर्सिंग अधिकारियों की कुशल टीम के द्वारा किया जाता है। मरीजों का औषधीय प्रबंधन नवीनतम एंटीसाईकोटीक, एंटीडिप्रेसेंट, मूडस्टेबलाइजर्स और एंटीएपीलेप्टिक दवाईयों के द्वारा आधुनिक चिकित्सा पद्धतियों द्वारा किया जाता है। संशोधित इलेक्ट्रोकौन्वल्सिव थेरपी की सुविधा आंतरिक और बाह्य दोनों मरीजों के लिए उपलब्ध है। मरीजों की देखभाल में विशिष्ट मनोवैज्ञानिक परीक्षण और ईलाज जैव-मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोण के साथ किया जाता है। भर्ती मरीजों का रक्त एवं अन्य जाँच मुफ्त किया जाता है। मरीजों की बीमारी का विस्तृत विवरण का केस रिकार्ड बनाया जाता है और उसे संस्थान के केन्द्रीय सर्वर में सुरक्षित रखा जाता है। प्रत्येक दिन कनिष्ठ आवासीय चिकित्सकों द्वारा भर्ती मरीजों की बीमारी का विस्तृत परीक्षण किया जाता है एवं शाम में आने वाले वरिष्ठ आवासीय चिकित्सकों से उनकी स्थिति पर विचार किया जाता है। वार्ड राउंड के दौरान वरिष्ठ परामर्शियों के साथ मरीजों के बेहतर उपचार के लिए गहन विचार-विमर्श किया जाता है। मरीजों के संबंध में नर्सिंग कर्मचारियों के लिए आवश्यक दिशा-निर्देश एवं उन्हें दी जाने वाली दवाओं का विस्तृत विवरण निर्देश पुस्तिका में लिखित रूप में लिख दिया जाता है। यह पुस्तिका ड्यूटी पर तैनात स्टाफ नर्स के पास हमेशा रहता है।

एक बार भर्ती हो गए मरीज के संपूर्ण देखभाल की जिम्मेवारी उस कनिष्ठ आवासीय चिकित्सक की हो जाती है, जिन्हें उनके मामले को देखने का कार्य आबंटित किया जाता है। वरिष्ठ आवासीय चिकित्सक एवं परामर्शी के निरीक्षण में मरीजों की देखभाल की पूरी जिम्मेवारी उन्हीं पर होती है। यह विभाग मानसिक रूप से बीमार व्यक्तियों के लिए सोमवार से शनिवार तक सुबह 08.30 बजे से शाम 05.00 बजे तक (अवकाश के दिनों को छोड़कर) ओ.पी.डी. की सेवाएँ देता है। मरीजों की कुछ विशिष्ट रोगों के उपचार के लिए कुछ दिन विशेष क्लीनिक चलाएँ जाते हैं। शैक्षणिक गतिविधियों में नियमित प्रबंधन और शैक्षिक राउंड, शिक्षण कार्यक्रम, व्याख्यान और वार्ड केस चर्चा शामिल है। यह विभाग मानसिक स्वास्थ्य के क्षेत्र में पेशेवरों और गैर-पेशेवरों को प्रशिक्षण देने का कार्य करता है एवं मानसिक मरीजों के उपचार के लिए सामुदायिक सेवाएँ भी प्रदान करता है।

इस विभाग द्वारा प्रशिक्षण कार्यक्रम इकाई स्तर, विभागीय स्तर एवं अंर्तविभागीय स्तर पर भी किया जाता है। इस विभाग द्वारा सिर्फ संस्थान के स्नातकोत्तर प्रशिक्षुओं को प्रशिक्षण नहीं दिया जाता है बल्कि दूसरे चिकित्सा महाविद्यालयों एवं संस्थानों के प्रशिक्षुओं को भी प्रशिक्षित किया जाता है। इस अस्पताल में मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों द्वारा अन्य विभागों के सहयोग से विभिन्न प्रकार के शोध अध्ययन किए जा रहे हैं। यहाँ के कुछ संकाय सदस्य विभिन्न पत्रिकाओं के संपादकीय बोर्ड में हैं एवं विश्वविद्यालय परीक्षक हैं। वरिष्ठ संकाय सदस्यों को भारतीय चिकित्सा परिषद् और भारतीय पुनर्वास परिषद् द्वारा निरीक्षक के रूप में नामित किया जाता है।

Sr No Name Designation
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2 Dr. Nishant Goyal Professor of Psychiatry